याद तुम्हारी आयी ना हो
ऐसा कोई प्रहर नही
तनहाई से भी जहरीला
मैने देखा जहर नही
संग आपके मखमल जैसा
जीवन मानो सपना था
चाँद सितारों की बस्ती थी
बसंत भी तो अपना था
तुम जाने के बाद गाँव मे
मुडकर आयी सहर नही
तनहाई से भी जहरीला
मैने देखा जहर नही
भूल गया हूं अतीत सारा
खुदसे मै रूबरू नही
तेरेबिन दुखियारे मन को
चैन नही जुस्तजू नही
चप्पा चप्पा तुम्हे न ढूंडा
ऐसा कोई शहर नही
तनहाई से भी जहरीला
मैने देखा जहर नही
टूट गये रिश्ते शबनम से
सबा न हो महसूस कंही
दिये बुझे है इस बस्ती मे
तूफाँ है, फानूस नही
मंज़िल कैसे खोजेंगे हम?
कुछभी आता नजर नही
तनहाई से भी जहरीला
मैने देखा जहर नही
शाम पुरानी कहाँ गयी वो?
सूनी अब है बज़्म यहाँ
तबियत महफिल की है बदली
कौन सुनेगा नज़्म यहाँ
कागज़ पे मै बयाँ करू क्या?
लिखता मै अब बहर नही
तनहाई से भी जहरीला
मैने देखा जहर नही
खुश्क इलाका बेरहमोंका
असवन की है सिर्फ नमी
बोझ बनी है एक जिंदगी
साँसों की भी यहाँ कमी
डूब मरू कैसे या रब ?
आसपास मे नहर नही
तनहाई से भी जहरीला
मैने देखा जहर नही
रचना मे आये उर्दू शब्दों के अर्थः-- १) सहर-- Morning. २) रूबरू-- face to face, in front of ३)जुस्तजू--search ४) सबा-- morning easterly breeze ५)फानूस--glass shade for candle ६)बज़्म--maifil ७) नज़्म--A form of poetry ८) बहर-- meter of poetry ९) बेरहम--cruel १०) या रब Oh God !
निशिकांत देशपांडे मो.क्र. ९८९०७ ९९०२३
E Mail-- nishides1944@yahoo.com
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