Friday, February 22, 2013

होरी


होरी है आज सखी
खिल उठे है रंग
राधा की सुध बिसरी
गिरिधर के संग

मन भावन लगता था
शाम रूप साधा
कसरिया तनमन पर
भिग गयी राधा
यमुना आंगन आयी
धो न सकी रंग
राधा की सुध बिसरी
गिरिधर के संग

भक्तिरस मे मीरा ने
खेली थी होली
आपनाने गिरिधर को
फैली थी झोली
जीत प्यार की, पी कर
जहर के तरंग
राधा की सुध बिसरी
गिरिधर के संग

अर्जुन का अज्ञान मे
एक पल था बीता
ज्ञान रंग मे डूबे
सुन कर गीता
आँधियारा गुनगुनाये
तेज के अभंग
राधा की सुध बिसरी
गिरिधर के संग


निशिकांत देशपांडे मो.क्र. ९८९०७ ९९०२३
E Mail-- nishides1944@yahoo.com


No comments:

Post a Comment