Monday, February 11, 2013

बहार हो तुम


(व्हॅलंटाइन डे के उपलक्ष्य मे अनाम प्रियतमा के लिये लिखी रचना)

ना उजडे वो बहार हो तुम
मुरझाये वो फूल नही
दिया है रब ने सब कुछ सुंदर
की है कोई भूल नही

शबनम की बारिश हो तुम
तेज धूप की किरन नही
जियो जिंदगी अपनी मर्जी से
जाओ किसको शरण नही

मंद हवा का झोका हो तुम
तूफानों की लहर नही
दिल मे तुम रहने के कारन
तनहाई का कहर नही

नदियों जैसा बहा करो तुम
रुकनेका लेना नाम नही
पूनम की चांदनी मे रहो
आंधियारी तेरी शाम नही

हरियाली पर चला करो तुम
पथरेली राह पर नही
भरोसा करो खुशहाली पर
दर्दभरी आह पर नही

अश्कोंको निलाम करो तुम
खरिददार गर नही मिला
मै लेलुंगा मुझको कोई
असवन से है गिला नही

लाखो नजरें देख रही है
आना मेरे गली नही
बेशक आओ यादों मे तुम
आंस मिलन की जली नही


निशिकांत देशपांडे मो.क्र. ९८९०७ ९९०२३
E Mail-- nisides1944@yahoo.com





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