Saturday, December 1, 2012

अच्छा बुरा

सीख न दो अच्छा बनने की
संकटमे होगी धरती
हम लोगों के कारण होती
अच्छे लोगोंकी आरती

ऋषी मुनी ज्ञानी न पनपते
अज्ञानीबिन यहाँ वहाँ
पाँच पांडवों के हित मे ही
जन्मे कौरव शतक यहाँ

रामकी प्रतिमा यूं न दमकती
अगर न होता रावण
ग्रिष्म न होता कालचक्रमे
मन न लुभाता सावन

महिषासुरने रक्त बहाया
पुजनीय बनी काली माँ
बुराइयाँ इस जगमे रहते
अच्छोंकी है शुभ प्रतिमा

संशयग्रासित राम न होते
अग्निदिव्य क्यों करे सीता
अर्जुन जब संभ्रम मे डूबे
जगने पायी अमर गीता

क्या अच्छा क्या बुरा विश्व मे
एकबिना है दूजा आधा
बुरों को रहना है बुरा ही
विश्व हित का गणित है साधा


निशिकांत देशपांडे मो.क्र. ९८९०७ ९९०२३
E Mail-- nishides1944@yahoo.com

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