आदत लगी है आजकल
सपने अजब दिखने लगे
ज़िंदगीके चैन सभी
बेमोल अब बिकने लगे
विरान हो जब ज़िंदगी
फँतासी कुछ दे सहारा
पलही सही छाये हँसी
लगने लगा जीवन दुलारा
सपनोंवाली इस गली मे
ढूंड कर गम ना मिले
हर तरफ दिखने लगे
खुशियोंके बस अब सिलसिले
फँतासी तो फँतसी है
इसमे नही शिकवा गिला
प्यार का एक बूंद पाकर
जैसे लगे सागर मिला
अमावसको भी रहे
चंद्रमा मेरे साथ मे
दूर तू होकर तेरा
आँचल हो मेरे हाथ मे
फँतासी बन जांऊ उनकी
फँतासी अपनी मेरी
फँतासीमे चांहू ख्वाइश
हो पूरी हरेक मेरी
फँतासी जिसने बनाई
शुक्रिया हम करने लगे
गर्म रेतकी ढेर मे
दिखने हमे झरने लगे
रब करे सबको मिले
काफ़िले सपनो भरे
खण्डहरसी ज़िंदगी मे
चमन लाये रंग भरे
निशिकांत देशपांडे मो.क्र. ९८९०७ ९९०२३
E Mail-- nishides1944@yahoo.com
सपने अजब दिखने लगे
ज़िंदगीके चैन सभी
बेमोल अब बिकने लगे
विरान हो जब ज़िंदगी
फँतासी कुछ दे सहारा
पलही सही छाये हँसी
लगने लगा जीवन दुलारा
सपनोंवाली इस गली मे
ढूंड कर गम ना मिले
हर तरफ दिखने लगे
खुशियोंके बस अब सिलसिले
फँतासी तो फँतसी है
इसमे नही शिकवा गिला
प्यार का एक बूंद पाकर
जैसे लगे सागर मिला
अमावसको भी रहे
चंद्रमा मेरे साथ मे
दूर तू होकर तेरा
आँचल हो मेरे हाथ मे
फँतासी बन जांऊ उनकी
फँतासी अपनी मेरी
फँतासीमे चांहू ख्वाइश
हो पूरी हरेक मेरी
फँतासी जिसने बनाई
शुक्रिया हम करने लगे
गर्म रेतकी ढेर मे
दिखने हमे झरने लगे
रब करे सबको मिले
काफ़िले सपनो भरे
खण्डहरसी ज़िंदगी मे
चमन लाये रंग भरे
निशिकांत देशपांडे मो.क्र. ९८९०७ ९९०२३
E Mail-- nishides1944@yahoo.com
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